लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर
तीव्र आतप तप्त
व्याकुल...
तीव्र आतप तप्त
व्याकुल
आर्त्त
हो
महती
तृषा
से
शुष्कतालू हरिण चंचल
भागते
हैं
वेग
धारे
वनांतर में तोय
का
आभास
होता
दूर
क्षण
भर
नील अन्जन-सदृश
नभ
को
वारि
शंका
में
विगुर
कर
प्रिये ! आया ग्रीष्म
खरतर
!